राष्ट्रीय ध्वज फहराने की सभी को छूट है, लेकिन ऐसा करते समय नियमों को ध्यान में रखा जाना चाहिए, इसका अपमान अथवा अनादर करना दंडनीय अपराध है
नई दिल्ली। आजादी का जश्न मनाने में राष्ट्रीय ध्वज फहराने की सभी को छूट है, लेकिन ऐसा करते समय नियमों को ध्यान में रखा जाना चाहिए, क्योंकि इसका अपमान अथवा अनादर करना एक दंडनीय अपराध है। आइए जानते हैं क्या है तिरंगा फहराने का सही तरीका... 1. क्या आप जानते हैं कि देश में 'फ्लैग कोड ऑफ इंडिया' (भारतीय ध्वज संहिता) नाम का एक कानून है, जिसमें तिरंगे को फहराने के कुछ नियम-कायदे निर्धारित किए गए हैं। 2. यदि कोई शख्स 'फ्लैग कोड ऑफ इंडिया' के तहत गलत तरीके से तिरंगा फहराने का दोषी पाया जाता है तो उसे जेल भी हो सकती है। इसकी अवधि तीन साल तक बढ़ाई जा सकती है या जुर्माना लगाया जा सकता है या दोनों भी हो सकते हैं। 3. तिरंगा हमेशा कॉटन, सिल्क या फिर खादी का ही होना चाहिए। प्लास्टिक का झंडा बनाने की मनाही है। 4. किसी भी स्तिथि में फटे या क्षतिग्रस्त झंडे को नहीं फहराया जा सकता है। 5. तिरंगे का निर्माण हमेशा रेक्टेंगल शेप में ही होगा। जिसका अनुपात 3:2 ही होना चाहिए। 6. झंडे का यूज किसी भी प्रकार के यूनिफॉर्म या सजावट के सामान में नहीं हो सकता। 7. झंडे पर कुछ भी बनाना या लिखना गैरकानूनी है। 8. किसी भी गाड़ी के पीछे, बोट या प्लेन में तिरंगा यूज नहीं किया जा सकता है। इसका प्रयोग किसी बिल्डिंग को ढ़कने में भी नहीं किया जा सकता है। 9. किसी भी स्तिथि में झंडा (तिरंगा) जमीन पर टच नहीं होना चाहिए। 10. जब झंडा फट जाए या मैला हो जाए तो उसे एकांत में पूरा नष्ट किया जाए। 11. झंडा केवल राष्ट्रीय शोक के अवसर पर ही आधा झुका रहता है। 12. किसी भी दूसरे झंडे को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या ऊपर नहीं लगा सकते और न ही बराबर रख सकते है। 13. जब तिरंगा फट जाए या रंग उड़ जाए तो इसे फहराया नहीं जा सकता। ऐसा करना राष्ट्रध्वज का अपमान करने वाला अपराध माना जाता है। 14. जब तिरंगा फट जाता है तब इसे गोपनीय तरीके से सम्मान के साथ जला दिया जाता है या पवित्र नदी में जल समाधि दे दी जाती है। 15. शहीदों के पार्थिव शरीर से उतारे गए झंडे को भी गोपनीय तरीके से सम्मान के साथ जला दिया जाता है या नदी में जल समाधि दी जाती है। 16. सबसे पहले लाल, पीले व हरे रंग की हॉरिजॉन्टल पट्टियों पर बने झंडे को 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क), कोलकाता में फहराया गया था। 17. भारत के राष्ट्रीय ध्वज को पिंगली वैंकेया ने डिजाइन किया था। 18. अभी जो तिरंगा फहराया जाता है उसे 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था। इससे पहले इसमें 6 बार बदलाव किया गया था। 19. 3 हिस्से से बने झंडे में सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरे रंग की एक बराबर पट्टियां होती है। 21. सफेद पट्टी के बीच में गहरे नीले रंग का एक चक्र होता है। इसका व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है और इसमें 24 तिलियां बनी होती हैं। 22. 22 जुलाई 1947 से पहले तिरंगे के बीच में चक्र की जगह पर चरखा होता था। इस झंडे को 1931 में अपनाया गया था। 23. 26 जनवरी 2002 को भारतीय ध्वज संहिता में एमेंडमेंट किया गया। इसके बाद लोगों को अपने घरों और ऑफिस में आम दिनों में तिरंगा फहराने की अनुमति मिल गई। 24. झारखंड की राजधानी रांची में 23 जनवरी 2016 को सबसे ऊंचा तिरंगा फहराया गया। 66*99 साइज के इस तिरंगे को जमीन से 493 फीट ऊंचाई पर फहराया गया। 25. राष्ट्रपति भवन के म्यूजियम में एक छोटा तिरंगा रखा हुआ है, जिसे सोने के स्तंभ पर हीरे-जवाहरातों से जड़ कर बनाया गया है। 26. भारत में बैंगलुरू से 420 किमी दूर स्थित 'हुबली' एक मात्र लाइसेंस प्राप्त संस्थान है जो झंडा बनाने का और सप्लाई करने का काम करता है। 27. 29 मई 1953 में भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा सबसे ऊंची पर्वत की चोटी माउंट एवरेस्ट पर यूनियन जैक तथा नेपाली राष्ट्रीय ध्वज के साथ फहराता नजर आया था इस समय शेरपा तेनजिंग और एडमंड माउंट हिलेरी ने एवरेस्ट फतह की थी। 28. पहली बार 21 अप्रैल 1996 के दिन स्क्वाड्रन लीडर संजय थापर ने तिरंगे की शान बढाते हुए एम. आई.-8 हेलिकॉप्टर से 10000 फीट की ऊंचाई से कूदकर देश के झंडे को उत्तरी ध्रुव में फहराया था। 29. 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा ने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को लेकर अंतरिक्ष के लिए पहली उड़ान भरी थी। 30. दिसंबर 2014 से चेन्नई में 50,000 स्वयंसेवकों द्वारा मानव झंडा बनाने का विश्व रिकॉर्ड भी भा. के पास ही है।
भारत में 15 August बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस दिन लोग तिरंगा फहराते हैं. हमारे राष्ट्रीय ध्वज में ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरा रंगा है. इसीलिए हम इसे तिरंगा कहते हैं.
Updated : August 15, 2018 11:05 IST
स्वतंत्रता दिवस 2018: 15 अगस्त के दिन देश के प्रधानमंत्रा लाल किले पर झंडा फहराते हैं.
खास बातें
तिरंगा हमेशा कॉटन, सिल्क या फिर खादी का ही होना चाहिए.
तिरंगा हमेशा सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच ही फहराया जा सकता है.
केसरिया रंग को नीचे की तरफ करके तिरंगा फहराना गलत है.
नई दिल्ली: Independence Day: 15 अगस्त (15 August) को पूरा देश आजादी का जश्म मनाता है. स्वतंत्रता दिवस () के दिन हम सब तिरंगा फहराते हैं. हमारा राष्ट्रीय ध्वज देश के गौरव का प्रतीक है. राष्ट्रीय ध्वज को फहराने को लेकर कई नियम भी हैं और तिरंगे का अपमान और अनादर करना एक दंडनीय अपराध है. 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक में देश के राष्ट्रीय ध्वज (National Flag) को अपनाया गया था. राष्ट्रीय ध्वज में ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरा रंगा है. इसीलिए हम इसे तिरंगा कहते हैं. राष्ट्रीय ध्वज में सफेद रंग की पट्टी में नीले रंग से बना अशोक चक्र है जिसमें चौबीस तीलियां हैं. भारत के राष्ट्रीय ध्वज को आंध्रप्रदेश के पिंगली वैंकैया ने बनाया था. ध्वज (National Flag) को साधारण भाषा में झंड़ा कहा जाता है. आपको बता दें कि देश में 'फ्लैग कोड ऑफ इंडिया' नाम का एक कानून है, जिसमें तिरंगे को फहराने के नियम निर्धारित किए गए हैं. इन नियमों का उल्लंघन करने वाले किसी भी शख्स को जेल हो सकती है. आज हम आपको तिरंगे फहराने से जुड़े नियम और कानून बताने जा रहे हैं.
आइये जानते हैं राष्ट्रीय ध्वज (National Flag) को फहराने के नियम और कानून
1. तिरंगा हमेशा सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच ही फहराया जा सकता है.
2. तिरंगे को कभी झुकाया नहीं जाता, न ही जमीन पर रखा जाता है. आदेश के बाद ही सरकारी इमारतों पर झंडे को आधा झुकाकर फहराया जा सकता है.
3. झंडे को कभी पानी में नहीं डुबोया जा सकता, झंडे को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुचाया जाता है. झंडे के किसी भाग को जलाने, नुकसान पहुंचाने के अलावा मौखिक या शाब्दिक तौर पर इसका अपमान करने पर तीन साल तक की जेल या जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं.
4. तिरंगे (Flag) का आकार आयताकार होना चाहिए. इसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 का होना चाहिए.
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5. तिरंगा हमेशा कॉटन, सिल्क या फिर खादी का ही होना चाहिए.
6. केसरिया रंग को नीचे की तरफ करके तिरंगा फहराना गलत है.
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7. तिरंगे को हमेशा अपने पास की सबसे ऊंची जगह पर फहराना चाहिए.
8. तिरंगे (National Flag) का इस्तेमाल किसी कार्यक्रम में मेज को ढकने या मंच को सजाने में नहीं किया जाता है.
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9. कभी भी फटा या मैला-कुचैला तिरंगा नहीं फहराया जाता है. झंडा फट जाए, मैला हो जाए तो उसे एकांत में आग में जला देना चाहिए या अन्य किसी तरीके से नष्ट करना चाहिए, ताकि उसकी गरिमा बनी रहे. झंडे को पवित्र नदी में जल समाधि भी दी जा सकती है.
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